हो रही फूलों से आशिक़ी ख़ूब है
हो रही फूलों से आशिक़ी ख़ूब है हो रही फूलों से आशिक़ी ख़ूब है! बरसी मुझपे ही जब शबनमी ख़ूब है हो सकता जो नहीं हम सफर मेरा ही उसकी ही आरजू पल रही ख़ूब है प्यार की बातें आगे नहीं है बढ़ी उससे आंखों से आंखें मिली ख़ूब है लेकिन…
हो रही फूलों से आशिक़ी ख़ूब है हो रही फूलों से आशिक़ी ख़ूब है! बरसी मुझपे ही जब शबनमी ख़ूब है हो सकता जो नहीं हम सफर मेरा ही उसकी ही आरजू पल रही ख़ूब है प्यार की बातें आगे नहीं है बढ़ी उससे आंखों से आंखें मिली ख़ूब है लेकिन…
जिंदगी का सफर मुश्किलों से ढ़ला जिंदगी का सफर मुश्किलों से ढ़ला। मंजिलें पा गया सोचकर जो चला।। दोष क्या दें भला हम किसी और को। हर कदम पर यहां जिंदगी ने छला।। दुःख-सुख को सदा थाम कर दिल सहा। चाह कुछ भी नहीं ना लबों पे गिला।। फूंक कर ही…
ढूंढ़ता क्या है तू दिल के पत्थरों में ढूंढ़ता क्या है तू दिल के पत्थरों में ! प्यार नहीं है इन ज़रा भी जाहिलों में नफ़रतों की सिर्फ़ होती बातें है है नहीं उल्फ़त ज़रा भी इन घरों में झूठ आयेगा नज़र हर साफ़ तुझको देख हर चेहरा ज़रा…
हम जिंदा हैं हम जिंदा हैं क्योंकि हमारे जिंदा रहने के कारण हैं भले ही हमारी रगों का लहू सूख चुका है हमारे कानों तक नहीं पहुंचती कोई चीख पुकार ना ही कोई आहो बका हम नदी के कगारों पे खड़े ठूंठ हैं हम खामोश हैं क्योंकि हम दर्शक हैं …
तमाम बस्ती जला रहा है तमाम बस्ती जला रहा है। मकान अपना बचा रहा है।। नहीं किसी की बचेगी हस्ती । बिसात ऐसी बिछा रहा है ।। वो घोल करके दिलों में नफ़रत। जहां से उल्फ़त मिटा रहा है।। वो दोष औरों के सर पे मढ़कर। बेदाग़ ख़ुद को दिखा …
जान लेलेगा इंतजार मुझे किसने ये कह दिया बीमार मुझे। जान ले लेगा इंतजार मुझे ।। आखिरी हिचकी भी आजायेगी, देख न ऐसे बार बार मुझे ।। दौलते इश्क तो मिली ही नही, लोग कहते हैं मालदार मुझे।। कभी खुद आईने में देखा नहीं, दूसरों पर रहा एतबार मुझे ।।…
बस मुझे है याद तेरी बेवफ़ाई बस मुझे है याद तेरी बेवफ़ाई कर गयी बर्बाद तेरी बेवफ़ाई कर गयी है बेवफ़ा सारे जहां से हमको तेरे बाद तेरी बेवफ़ाई उम्रभर जख्मे जिगर ये भर न पायें करती है फरियाद तेरी बेवफ़ाई शे’र हैं आहों भरे मेरे लबों पर कह रही…
खो गया दिल कहीं आपको देखकर खो गया दिल कहीं आपको देखकर। खुद हैरान हूँ ये असर देखकर।। ठहर पाया ना बैरी कभी सामने । डर गया हौंसला वो जिगर देखकर ।। रत्न सागर से वो ला न पाया कभी । डर गया जो उमड़ती लहर देखकर।। धूप की राह …
मैं ढूंढ़ता उसका ही रहा घर मैं ढूंढ़ता उसका ही रहा घर उसका नहीं मुझको है मिला घर वो छोड़ के ही जब से गया है सूना बहुत मेरा ये हुआ घर उल्फ़त यहां दिल से मिट गयी है की नफरतों में ही ये जला घर देखो ग़म के साये…