ज़िन्दगी का कोई बसेरा | Zindagi ka koi basera | Ghazal
ज़िन्दगी का कोई बसेरा ( Zindagi ka koi basera ) ज़िन्दगी का कोई बसेरा ढून्ढ रहा हूँ में तो बस ज़ीस्त का एक इशारा ढून्ढ रहा हूँ एक सुर्खियों में बंधा हुआ शाम का तरन्नुम समाये सवेरा ढून्ढ रहा हूँ उजालो से अब दिल उक्ता गया है में दिन में चाँद, सितारा…