Inspirational kavita in Hindi

आओ सारी कसम तोड़ दे | Inspirational kavita in Hindi

आओ सारी कसम तोड़ दे ( Aao saaree kasam tod de )   आओ सारी कसम तोड़ दे, हवा का रुख मोड़ दे। प्यार भरे झरने लाए, सद्भाव दिलों में छोड़ दें। हंसी खुशी से रहना सीखें, बैर भाव सब छोड़ दे। हिलमिल कर रहे हम, आओ सारी कसम तोड़ दे।   कुदरत भी हम…

हमारे पूर्वज

हमारे पूर्वज | Hamare Purvaj Kavita

हमारे पूर्वज ( Hamare purvaj )   परिवार  की  नींव  है पूर्वज, संस्कारों के दाता है। वटवृक्ष की छांव सलोनी, बगिया को महकाता है।   सुख समृद्धि जिनके दम से, घर में खुशियां आती। आशीशों का साया सिर पर, कली कली मुस्काती।   घर के बड़े बुजुर्ग हमारे, संस्कारों भरी धरोहर है। धन  संपदा  क्या …

रात्रिकाल | Kavita

रात्रिकाल | Kavita

रात्रिकाल ( Raatrikaal )   दिन भर करते काम जो,अब हो आई शाम। थके थके से चल रहे, छोड़के सारा काम।।   सूरज  ढलने  से  हुई, ठंडी  तपती  धूप। रात सुहानी आ गई ,बिखरी छटा अनूप।।   चूल्हा घर-घर जल रहा,रोशन घर परिवार। कोई पशु को नीरता, कर रहा सार संभार।।   टिमटिम तारे कर…

श्राद्ध पक्ष

श्राद्ध पक्ष | Shradh Paksha Kavita

श्राद्ध पक्ष ( Shradh Paksh )   पुरखों  को  सम्मान  दें,  हैं  उनके ही अंश। तर्पण कर निज भाव से, फले आपका वंश।।   बदला  सारा  ढंग  है,  भूल  गए  सत्कार। तर्पण कर इतिश्री किया, छूट गए संस्कार।।   तब  कौवों  ने  बैठ के, रच दी सभा विशाल। श्राद्ध पक्ष अब आ गए, समय बड़ा…

मोहब्बत उसे भी थी

मोहब्बत उसे भी थी | Prem Kavita

मोहब्बत उसे भी थी ( Mohabbat use bhi thi )   हां मोहब्बत उसे भी थी, वो प्यार का सागर सारा। उर तरंगे ले हिलोरे, अविरल बहती नेह धारा।   नेह सिंचित किनारे भी, पल पल में मुस्काते थे। मधुर स्नेह की बूंदे पाकर, मन ही मन इतराते थे।   कोई चेहरा उस हृदय को,…

महल अपनी गाते हैं

महल अपनी गाते हैं | Kavita

महल अपनी गाते हैं ( Mahal apni gate hain )   ऊंचे महलों के कंगूरे, आलीशान दमक वाले। रौब जमाते मिल जाते, चकाचौंध चमक वाले।   मेहनतकश लोगों पर भारी, अकड़ दिखाते हैं। मोन रहती मजबूरी तब, महल अपनी गाते हैं।   शानो शौकत ऊंचा रुतबा, ऊंचे महल अटारी। झोपड़ियों को आंख दिखाते, बन ऊंचे…

यादें

यादें | Kavita

यादें ( Yaaden )   बड़ी सुहानी लगती यादें, प्रेम भरी मनभावन सी। उर उमंग हिलोरे लेती, झड़ी बरसते सावन सी।   सुख-दुख के मेंघ मंडराये, यादें बस रह जाती है। घड़ी घड़ी पल पल रहकर, यादें पुरानी आती है।   हंसी खुशी के सुंदर पल, रह रहकर याद आते हैं। जैसे बहती सरिता धारा,…

कत्ल कलम से

कत्ल कलम से | Kavita

कत्ल कलम से ( Qatal kalam se )   हो ना जाए कत्ल कलम से, शमशीरो सी वार सा। दोषी  को  सजा  दिलवाना, फर्ज कलमकार का।   कलम ले दिल दुखाए, तीखे शब्द बाण चलाए। खून के आंसू रुलाए, बिना बात विवाद बढ़ाए।   निर्दोषी पर आरोप लगाना, कर्म नहीं दरबार का। सच्चाई की खातिर…

प्रकृति से खिलवाड़ मत करो | Poem on prakriti

प्रकृति से खिलवाड़ मत करो | Poem on prakriti

प्रकृति से खिलवाड़ मत करो ( Prakriti se khilwar mat karo )   १) प्रकृति से खिलवाड़ मत करो, कुछ सोचो अत्याचार न करो प्रकृति है तो हमारा जीवन है, वरना कुछ भी नहीं I   २) साँस ले तो प्रकृति देती है , साँस दे तो प्रकृति लेती है न होती प्रकृति तो सांसों…