उनकी समझ में थे बहुत से

उनकी समझ में थे बहुत से | Ghazal

उनकी समझ में थे बहुत से ( Unki samajh mein the bahut se )   उनकी समझ में थे  बहुत से  दोस्त और यार अब गिन रहे  कितने बचे हैं  और गमगुसार !!   कासिद ने खत के साथ ही मजमून भी दिया जैसे कि  म्यान से  अलग  से दे  कोई कटार !!   उस …

बिखरा बिखरा

बिखरा बिखरा |  Suneet Sood Grover Poetry

बिखरा बिखरा ( Bikhara bikhara )   बिखरा बिखरा कतरा कतरा इधर उधर से जो मैं सहेजती हूँ संजोती हूँ   हवा का इक झोंका फिर उसे बिखरने को कर देता है मजबूर   दो हाथों में कभी आगोश में तो कभी दामन के पल्लू में   फिर उसे बचाती हूँ समेटती हूँ बाँध कर…

विदा

विदा | Kavita

विदा ( Vida ) तुम कह देना उन सब लोगों से, जिन्हें लगता है हम एक दुजे के लिए नहीं. जो देखते है सिर्फ़ रंग, रूप और रुतबा जिन्होंने नहीं देखा मेरे प्रेम की लाली को तुम्हारे गलो को भिगोते हुए. जो नहीं सुन पाए वो गीत जो मैंने कभी लफ़्ज़ों में पिरोए ही नहीं….

जिंदगी में ख़ुदा ख़ुशी चाहिए

जिंदगी में ख़ुदा ख़ुशी चाहिए | Zindagi Shayari

जिंदगी में ख़ुदा ख़ुशी चाहिए ( Zindagi mein khuda khushi chahiye )     जिंदगी में ख़ुदा  ख़ुशी चाहिए ! उम्रभर ऐसी वो जिंदगी चाहिए   भेज दें ए ख़ुदा जिंदगी की ख़ुशी और ख़ुशी की नहीं बेदिली चाहिए   खाली है जिंदगी में बहुत ही दग़ा बावफ़ा अब ख़ुदा दोस्ती चाहिए   रब अंधेरों…

साहिल- तेरे लिए

साहिल- तेरे लिए | Hindi Ghazal

साहिल- तेरे लिए ( Sahil- tere liye )   मन के अरमान मेरे बहकने लगे, तुम चले आओ अब मेरे आगोश में।   बिन तुम्हारे है सूनी, प्रणय वाटिका, रिक्तता सी है मेरे प्रणय कोश में।।   तुम मिले मुझको जब, मैं दिवानी हुई, जो मेरे पास था छोड़ कर आ गई।   प्रीत बाबुल…

कितना आसाँ है कहना - भूल जाओ

कितना आसाँ है कहना – भूल जाओ | Ghazal

कितना आसाँ है कहना – भूल जाओ ( Kitna aasan hai kehna – bhool jao )   इस दिल पे इतनी सी इनायत करना सुर्ख लबो में अलफ़ाज दबाये रखना खामोश रही आँखो पे सवालात न करना चंद रौशनदानो को भी घर में खुला रखना   हवा का रुख बदलेगा जमाना जब भी घर की…

साथ तुम आ जाओ

साथ तुम आ जाओ | Romantic Poetry In Hindi

साथ तुम आ जाओ   ( Saath tum aa jao ) साथ आज तुम आ जाओ तो, संबल मुझको मिल जाए। जीवन  नैया डगमग डोले, उजड़ी बगिया खिल जाए।।   कंटक पथ है राह कठिन है, कैसे मंजिल पाऊंगा। हाय अकेला चला जा रहा, साथी किसे बनाऊंगा। फिर भी बढ़ता जाऊंगा, शायद किनारा मिल जाए।…

अब रहा है कौन अपना गांव में

अब रहा है कौन अपना गांव में | Ghazal

अब रहा है कौन अपना गांव में  ( Ab raha hai kaun apne gaon mein )     अब रहा है कौन अपना गांव में रह गया हूँ देखो तन्हा गांव में!   वो नहीं आया नगर से लौटकर रस्ता उसका रोज़ देखा गांव में   छोड़ आया  हूँ नगर मैं इसलिए है मकां ए…

चेहरा गुलाब जैसा है

चेहरा गुलाब जैसा है | Ghazal

चेहरा गुलाब जैसा है ( Chehra gulab jaisa hai )   मुस्कुराते हुए लब और चेहरा गुलाब जैसा है अब तो वो मेरे लिए बस इक ख्वाब जैसा है   काबीलियत नहीं मेरी शायद जिसे पाने की जिंदगी में मेरे लिए वह उस खिताब जैसा है   मेरा वजूद मुनव्वर है आज भी उसके दम…

चमन में अब निखार है शायद

चमन में अब निखार है शायद | Ghazal

चमन में अब निखार है शायद ( Chaman me ab nikhar hai shayad )   चमन में अब निखार है शायद। आने वाली बहार है शायद ।।   वो मर गया मगर हैं आंखें खुली, किसी का इंतजार है शायद।।   गर्ज पूरी हुई मुंह मोड़ लिया, बहुत मतलबी यार है  शायद।।   पांव में…