सूखी दरख्तो के साये

Ghazal | सूखी दरख्तो के साये

सूखी दरख्तो के साये ( Sookhi Darakhton Ke Saaye )     ये जो हम में तुम में कुछ प्यार बाकी है कहीं  दो दिलो  को बहलाने का बहाना तो नहीं फांसलो की अपनी भी जुबानें हुआ करती हैं तेरे मेरे करीब आने का इशारा तो नहीं   दिल जब भी धड़के, अफसाने बने ,सुना…

चंद बुलबुले जो देखते हो पानी में तुम

Hindi Ghazal -चंद बुलबुले जो देखते हो पानी में तुम

चंद बुलबुले जो देखते हो पानी में तुम   ( Chand Bulbule Jo Dekhte Ho Pani Mein Tum )   दो घडी रुककर घाव सहलाने लगे हम यूँ भी दर्द अपना भुलाने लगे तुम जो राहो में मेरी बिछाते हो शूल दामन फूलो से तुम्हारा महकाने लगे   किस्मत में था इन्तेजार वही मैं करती…

वहां पर कब भला मिलता है सच्चा प्यार जीवन में

Hindi Poetry On Life -वहां पर कब भला मिलता है सच्चा प्यार जीवन में

वहां पर कब भला मिलता है सच्चा प्यार जीवन में (Wahan Par Kab Bhala Milta Hai Sacha Pyar Jeevan Mein )     वहां पर कब भला मिलता है सच्चा प्यार जीवन में। जहां उम्मीद होती है सभी को यार जीवन में।।   हमेशा गुल नहीं मिलते डगर कोई चुनो बेशक। मिलेंगे हर कदम तुम…

भारत का गौरव

Hindi Kavita -भारत का गौरव

भारत का गौरव ( Bharat Ka Gaurav )     राम तेरे आर्याव्रत अब, शस्त्र नही ना शास्त्र दिखे। धर्म सनातन विघटित होकर,मात्र अंहिसा जाप करे।   शस्त्रों की पूजा करते पर, शस्त्र उठाना भूल गए, रणचंडी का वैभव भूले, खड्ग खप्पर सब भूल गए।   परशुराम का परशु अब तो, यदा कदा ही दिखता…

नार परायी

Hindi Kavita -नार परायी

नार परायी ( Naar Parai )     मिले हम मिले नही पर, मन से साथ रहेगे हम। नदी के दो किनारे से पर, मन से साथ रहेगे हम। मिलन ना अपना है ये,भाग्य विधाता ने लिखा है, मगर हुंकार सुनो इस दिल से,मन मे साथ रहेगे हम।   कर्म तुम अपना आप करो हम,अपना…

लगी आग नफ़रत की ऐसी जहां में

Hindi Poetry On Life -लगी आग नफ़रत की ऐसी जहां में

लगी आग नफ़रत की ऐसी जहां में (Lagi Aag Nafrat Ki Aisi Jahan Mein )     मैं जब भी पुराना मकान देखता हूं! थोड़ी बहुत ख़ुद में जान देखता हूं!   लड़ाई वजूद की वजूद तक आई, ख़ुदा का ये भी इम्तिहान देखता हूं!   उजड़ गया आपस के झगड़े में घर, गली- कूचे…

मालिक का दरबार

Hindi Ghazal -मालिक का दरबार

मालिक का दरबार ( Malik Ka Darbar )   यह सारी दुनिया ही उस मालिक का दरबार हो जाए, अगर आदमी को आदमी से सच्चा प्यार हो जाए ।   जाति-मज़हब के नाम पर और लड़ाइयाँ ना होंगी, अगर इंसानियत ही सबसे बड़ा व्यापार हो जाए ।   हरेक कामगार को मयस्सर हो उनके हक़ की रोटी, अगर मालिक-मज़दूर…