अन्नदाता
अन्नदाता क्यूँ ! तुम जान लेने पर आमादा हो इन बेकसूर और भोले भाले किसानों की ये अन्नदाता ही नहीं है, देश की रीढ़ भी है ये ही नहीं रहेंगे तो देश कैसे उन्नति करेगा……! ये तो यूँ भी मर रहे हैं कर्ज़ तले दब कर कभी फाँसी, कभी ज़हर, कभी ऋण कभी…
जज्बातों की आंधी ***** जब चलती है वेदी पर उसके बहुत कुछ जल जाती है। वेग उसकी होती अथाह, पल में सब-कुछ कर देती तबाह। रौंद डालती सब-कुछ, विशाल और क्षुद्र। दिखता न उसको- सही और ग़लत, मिले जो कुछ पथ में- उठाकर देती है पटक! शांत वेग जब होता, सामने कुछ न होता। बिखरे…
सुनहरी सुबह ( Sunahri subah ) सुनहरी सुबह नि:स्वार्थ भाव से प्रतिदिन सुबह आती है || आँख बंद थी अभी, खोए थे मीठे सपनों में | कुछ हंसीन प्यारे पल थे, हमारे अपनों में | तभी सुनहरी धूप ने दस्तक दी, नींद टूट गई | अंगडाई ले कर उठ गए, और…
तुम्हे रुलाने आया हूँ ( Tumhe rulane aya hun ) हंसने वालो सुनो जरा तुम तुम्हे रुलाने आया हूँ। अश्कों की बरसातों मे आज तुम्हे नहलाने आया हूँ।। जिसको सुनकर झुम उठो तुम ऐसा न संगीत मेरा। अन्तर्मन तक कांप उठेगा दर्द भरा सुन गीत मेरा।। न चाहिये कोई ताली मुझको न अभिनंदन चाहता…
काश कि तुमने ये बताया होता ( Kash ki tumne ye bataya hota ) काश कि तुमने ये बताया होता कि मैं क्यों दूर होता जा रहा हूँ तुमसे न कोई गिला-शिकवा फिर भी बातों का सिलसिला शुरू नहीं एक दिन, दो दिन,पाँच दिन,बीस दिन आखिर कब तक? ये तो बताया होता । हौले-हौले…
धरोहर ( Dhrohar : Kavita ) ->बड़ी सुरक्षित हैं मेरे पास , तेरी धरोहर . . . . ॥ 1 .समेटकर रखी है मैंने , तेरी सारी यादों को । ये अक्सर आती हैं,और रूला देती हैं मुझे । नम हो जाती हैं मेरी आँखें , झरने सी बहती हैं । सजाकर रखी हैं…
या खुदा कर दे रिहा ( Ya khuda kar de riha ) हर पल यूँ ही आँखे भर जाना उदासी को दर्शाती है, खामोश रह, सब कुछ बर्दाश करना घुटन को बतलाती है ।। ये खुदा मुझे बहरा बना दे, कि कुछ सुन न सकूँ । या खुदा पत्थर दिल बना दे कि…
हर पल की यादें होती हैं “तस्बीरें” || १. हर तस्बीर कुछ कहती है ,हर तस्बीर की एक कहानी है | हर पल थमा सा लगता है ,तस्बीर उस वक्त की निसानी है | कुछ धुंधली कुछ नई सी हैं , मानो यादों की जवानी है | हर तस्बीर की अपनी अदा है , हर…
स्वच्छता ( Swachchhata : Kavita ) १.स्वच्छ भारत अभियान का समर्थन करो | गंदगी को साफ करो,स्वच्छ भारत का निर्माण करो || २.किसी एक के बस की बात नहीं,सबको मिलकर चलना होगा | इतनी अटी गंदगी को साफ हमें ही करना होगा || ३.अवैतनिक काम है ये,अद्रस्य रुप से करना है |…
बेजुबान की आवाज़ ( Bezubaan ki awaz ) महाकाल तेरे इश्क़ में, चूर हो गया। ये लिखने पर, मजबूर हो गया। मैं नहीं था बुरा, मुझे तुमने बनाया है। इसलिए मैने भी, ये गाना रचाया है।। समझते क्या है तू, अपने आप को। मैने भी तेरे जैसों, को सिखाया है।। मैं महाकाल का लाल…