आ गुलिस्तां में मिलनें को आज तू फ़िर

Ghazal | आ गुलिस्तां में मिलनें को आज तू फ़िर

आ गुलिस्तां में मिलनें को आज तू फ़िर ( Aa gulistan mein milne ko aaj too fir )   आ गुलिस्तां में मिलनें को आज तू फ़िर आ करे दोनों उल्फ़त की गुफ़्तगू फ़िर   प्यार की नजरें निहारुं आज तुझको आ बैठे इक दूसरे के रु -ब -रु फ़िर   ये निगाहों पे असर…

साहिल- तेरे लिए

साहिल- तेरे लिए | Hindi Ghazal

साहिल- तेरे लिए ( Sahil- tere liye )   मन के अरमान मेरे बहकने लगे, तुम चले आओ अब मेरे आगोश में।   बिन तुम्हारे है सूनी, प्रणय वाटिका, रिक्तता सी है मेरे प्रणय कोश में।।   तुम मिले मुझको जब, मैं दिवानी हुई, जो मेरे पास था छोड़ कर आ गई।   प्रीत बाबुल…

महक तेरी मुहब्बत की

महक तेरी मुहब्बत की | Ghazal

महक तेरी मुहब्बत की ( Mehak teri muhabbat ki )   इत्र क्या,  गुलाब क्या ,  खुशबु कैसी, कहां महक है इस जहान मे , तेरी जैसी   खुदा की खोज मे शीश झुकाया दर दर, कहां है पूजा कोई, तेरे आचमन जैसी   होंगे कई तेरे चाहने वाले, समझ है मुझको, ना  कही  होगी, …

मोहब्बत का जैसे असर लग रहा

मोहब्बत का जैसे असर लग रहा | Ghazal

मोहब्बत का जैसे असर लग रहा ( Mohabbat ka jaise asar lag raha )   खूबसूरत सुहाना सफर लग रहा। मोहब्बत का जैसे असर लग रहा।।   राह -ए -हयात जिस पर मैं थक जा रही थी। उस पर चलती रहूं उम्र भर लग रहा।।   ख्वाबों में अब तक जो मेरे आता रहा। रूबरू…

कितना आसाँ है कहना - भूल जाओ

कितना आसाँ है कहना – भूल जाओ | Ghazal

कितना आसाँ है कहना – भूल जाओ ( Kitna aasan hai kehna – bhool jao )   इस दिल पे इतनी सी इनायत करना सुर्ख लबो में अलफ़ाज दबाये रखना खामोश रही आँखो पे सवालात न करना चंद रौशनदानो को भी घर में खुला रखना   हवा का रुख बदलेगा जमाना जब भी घर की…

सिलसिला जब से मुहब्बत का हुआ!

सिलसिला जब से मुहब्बत का हुआ | Romantic Poetry

सिलसिला जब से मुहब्बत का हुआ! ( Silsila jab se muhabbat ka hua )   सिलसिला जब से मुहब्बत का हुआ! और  भी  रिश्ता  उससे गहरा हुआ   आशना तो वो रहा बनकर मुझसे वो नहीं  दिल से मगर  मेरा हुआ   देखता था जो कभी उल्फ़त नजर आज मेरा  दुश्मन वो  चेहरा हुआ  …

साथ तुम आ जाओ

साथ तुम आ जाओ | Romantic Poetry In Hindi

साथ तुम आ जाओ   ( Saath tum aa jao ) साथ आज तुम आ जाओ तो, संबल मुझको मिल जाए। जीवन  नैया डगमग डोले, उजड़ी बगिया खिल जाए।।   कंटक पथ है राह कठिन है, कैसे मंजिल पाऊंगा। हाय अकेला चला जा रहा, साथी किसे बनाऊंगा। फिर भी बढ़ता जाऊंगा, शायद किनारा मिल जाए।…

चेहरा गुलाब जैसा है

चेहरा गुलाब जैसा है | Ghazal

चेहरा गुलाब जैसा है ( Chehra gulab jaisa hai )   मुस्कुराते हुए लब और चेहरा गुलाब जैसा है अब तो वो मेरे लिए बस इक ख्वाब जैसा है   काबीलियत नहीं मेरी शायद जिसे पाने की जिंदगी में मेरे लिए वह उस खिताब जैसा है   मेरा वजूद मुनव्वर है आज भी उसके दम…

चमन में अब निखार है शायद

चमन में अब निखार है शायद | Ghazal

चमन में अब निखार है शायद ( Chaman me ab nikhar hai shayad )   चमन में अब निखार है शायद। आने वाली बहार है शायद ।।   वो मर गया मगर हैं आंखें खुली, किसी का इंतजार है शायद।।   गर्ज पूरी हुई मुंह मोड़ लिया, बहुत मतलबी यार है  शायद।।   पांव में…

आज मुद्दतों बाद 

आज मुद्दतों बाद | Romantic Ghazal

आज मुद्दतों बाद  ( Aaj muddaton baad )     आज मुद्दतों बाद वो चुपके से पास आकर मेरा  हाथ सहलाकर  पूछती है   कहाँ गुम हो क्यों खामोश हो मुझे क्यों भूल गये   स्याही क्या सूख गई हर्फ क्या नहीं मिल रहे अलफाज़ नहीं जुड़ रहे   क्यों इतने गमगीन हो जो मुझको…