रोज़ भीगी है आंखें | Sad shayari
रोज़ भीगी है आंखें नमी में बहुत ( Roz bheegi hai aankhen nami mein bahut ) रोज़ भीगी है आँखें नमी में बहुत खा गया हूँ दग़ा दोस्ती में बहुत कब न जाने मिलेगा मुझे वो आकर मैं डूबा हूँ जिसकी बेकली में बहुत दुश्मनी छोड़ कर दोस्ती तू मगर ख़त्म हो जाता सब…