पर्यावरण

पर्यावरण | Paryaavaran par kavita

पर्यावरण ( Paryaavaran ) वृक्ष धरा का मूल भूल से इनको काटो ना , नदी तालाब और पूल भूल से इनको  पाटो ना! वृक्षों  से हमें फल मिलता है  एक सुनहरा कल मिलता है पेड़ रूख बन बाग तड़ाग , सब धरती के फूल …     भूल से इनको  काटो ना   ..  इनकी करो…

अपनी खुशियों को पंख लगाते हैं

अपनी खुशियों को पंख लगाते हैं | Kavita

अपनी खुशियों को पंख लगाते हैं ( Apni  khushiyon ko pankh lagaate hain )   चलो अपनी खुशियों को जरा पंख लगाते हैं।?️ फिर से दोस्तों की गलियों में छुप जाते हैं।? फिर वही अल्हड़ पन? अपनाते हैं। कुछ पल के लिए अपनी जिम्मेदारियों से जी चुराते हैं।? फिर वही बचपना अपनी आंखों में लाते…

आओ हम सब मिलकर के ऑक्सीजन बनातेहैं

आओ हम सब मिलकर के ऑक्सीजन बनातेहैं | Kavita

आओ हम सब मिलकर के ऑक्सीजन बनातेहैं ( Aao hum sab milkar ke oxigen banate hai )   आओ हम सब मिलकर के कसम खाते हैं, अपने अपने जन्मदिन पर वृक्ष लगाते हैं, हम सब अपनी जिंदगी बिता रहे रो रो के आओ बच्चों का जीवन खुशहाल बनाते हैं   जंगलों को काट हम सब…

अन्नपूर्णा हो तुम घर की

अन्नपूर्णा हो तुम घर की | Kavita

अन्नपूर्णा हो तुम घर की ( Annapurna ho tum ghar ki )   संस्कार संजोकर घर में खूब ख्याल रखे घर का अन्नपूर्णा हो तुम घर की घर लगता तुमसे स्वर्ग सा   मधुर विचारों से सुसज्जित महके घर का कोना कोना नारी कर कमलों से ही प्यारा लगे घर सलोना   स्वच्छ धुले हाथों…

आइए प्रभु आइए

आइए प्रभु आइए | Chhand

आइए प्रभु आइए ( Aaiye Prabhu Aaiye ) मनहरण घनाक्षरी छंद   लबों की हो मुस्कान भी पूजा और अजान भी अंतर्यामी प्रभु मेरे दौड़े-दौड़े आइए   जग पालक स्वामी हो हृदय अंतर्यामी हो हाल सारा जानते देर ना लगाइये   पलके अब खोल दो सबको आ संबल दो पीर भरे मेंघ छाये विपदा निवारिये…

Waqt mile to

व़क्त मिले तो आँखों से आँखें मिलाना तू कभी | Ghazal

व़क्त मिले तो आँखों से आँखें मिलाना तू कभी ( Waqt mile to aankhon se aankhen milana tu kabhi )   व़क्त मिले तो आँखों से आँखें मिलाना तू  कभी ! खीर  खाने  प्यार की तू मेरे घर आना तू  कभी   प्यार  के तू बांटना हर शख़्स को गुल देखले साथ नफ़रत का नहीं…

न जाने क्यों साथ वो छोड़ते रहे मेरा

न जाने क्यों साथ वो छोड़ते रहे मेरा | Ghazal

न जाने क्यों साथ वो छोड़ते रहे मेरा ( Na jane kyon sath wo chhodte rahe mera )   न जाने क्यों साथ वो छोड़ते रहे मेरा मुहब्बत से दिल भरा तोड़ते रहे मेरा   नहीं पूछा हाले दिल भी मगर मेरा उसनें  वो पास फ़ोन  बैठे छेड़ते रहे मेरा   गुलाब देते रहे प्यार…

बेटी

बेटी | Chhand

बेटी ( Beti ) (  मनहरण घनाक्षरी छंद ) लक्ष्मी अवतार बेटी घर का संस्कार बेटी देश का सम्मान होती दो दो वंश तारती   शिक्षा की जोत जलाती घर में रौनक लाती हुनर कौशल दिखा घर को संवारती   मां का अरमान बेटी पिता का सम्मान बेटी वतन की बागडोर कमान संभालती   गुणों…

कान्हा चले आएंगे

कान्हा चले आएंगे | Chhand

कान्हा चले आएंगे ( Kanha chale aayenge ) (  मनहरण घनाक्षरी छंद  )   मन में विश्वास रखो हृदय में आस रखो जगत के स्वामी खुद दौड़े चले आएंगे   मोहन मुरली धारी सुदर्शन चक्र धारी विपदा हरने प्रभु लीलायें रचाएंगे   मुरली की तान प्यारी ध्यान धरे नर नारी सुखचैन सुखदाता खुशियां लुटाएंगे  …

Prabhu Vandana

प्रभु वंदना | Prabhu Vandana

प्रभु वंदना ( Prabhu Vandana ) (  मनहरण घनाक्षरी छंद 8,8,8,7 वर्ण )   दीनबंधु दीनानाथ सबका प्रभु दो साथ संकट हर लो सारे विपदा निवारिये   रण में पधारो आप जनता करती जाप सारथी बन पार्थ के विजय दिलाइये   मन में साहस भर हौसला बुलंद कर जन-जन मनोभाव सशक्त बनाइये   मुरली की…