
तर बतर.
( Tar batar )
घुल जाने दो सांसों मे सांसे अपनी
यूं ही ये जिंदगी तर बतर हो जाए
तेरी बाहों के आलिंगन मे रहूं सदा
तेरे साए मे जिंदगी बसर हो जाए
न खौफ जमाने का सताए मुझे
न कभी दूर तू जाए मुझसे
धड़कते रहें यूं ही दिल हरदम
शिकवा न मुझे तुझ्से, न तुझे मुझसे
ये दीवानगी ये कशिश यूं ही बनी रहे
यूं ही केशों मे उंगलियां उलझती रहें
तू आए जब भी बहुत करीब मेरे
सहेलियां भी तुझसे जलती रहें
चले आए हैं हम अतीत से चलते हुए
कल भी सफर मे हम साथ ही रहें
ये बंधन है अनगिनत जन्मों का
हर जनम हम यूं ही साथ चलते रहें
हो जाना खफा भले कभी तुम मुझसे
मुझसे दूर मगर ,कभी होना नही
तू है तो मैं हूं, तुझसे ही धड़कन
तू ही जान , तू ही आंखों की फडकन
( मुंबई )