तेरे इश्क में | Tere Ishq Mein
राहुल एक बहुत होनहार लड़का था। बचपन से ही उसने घर की परेशानियों को देखते हुए शिक्षण कार्य करने लगा था। वह वह बच्चों को बहुत ही मेहनत से पढ़ता था और सारे बच्चे भी उस पर बहुत खुश थे। जिंदगी में हजार गम होते हुए भी हर समय वह मुस्कुराता रहता था। अभी उसकी शादी नहीं हुई थी ।
शादी की चर्चा होने पर वह कहता था,-” पहले अपनी छोटी बहन की शादी कर लूंगा तभी मैं शादी करूंगा।”
उसकी मां कहती ,”बेटा शादी कर ले । तेरी बहन की भी शादी हो जाएगी।”
लेकिन वह अपनी जिद के आगे किसी की नहीं सुनता था। धीरे-धीरे समय का पहिया अपनी गति से घूमता रहा। किसका दिल किसी पर कब आ जाए पता नहीं चलता।
उसके ही विद्यालय में एक और शिक्षिका पढ़ाती थी जिसकी भी अभी शादी नहीं हुई थी। अक्सर उससे विभिन्न विषयों पर चर्चा होती रहती थी। यह चर्चा कब नजदीकियों में बदल गया पता ही नहीं चला।
धीरे-धीरे जब नजदीकियां बढ़ी तो बहन की शादी के पहले सपने देखने वाला खुद अपनी शादी के सपने बुनने लगा। सोते जगते उठते बैठते उसे उसी के सपने आते । आखिर वह लोगों की निगाहों से कब तक बच सकता था। स्कूल में भी खाना फूंसी होने लगी थी।
गनीमत यह थी कि दोनों एक ही जाति के थे। लेकिन दोनों में जमीन आसमान का अंतर था। वह एक गरीब घर का शिक्षक था। लड़की एक हाई-फाई फैमिली की थी। फिर भी दोनों चाहते थे कि एक हो जाए।
राहुल अक्सर लड़की से कहता था,-” अगर तुम मेरी नहीं हुई तो मैं जहर खा करके जान दे दूंगा।”
उसका प्यार सच्चा था। जिंदगी में पहली बार तो उसने किसी को चाहा था।
जीवन में पहली बार किया इश्क ही इश्क होता है। जो कि अल्हड़ जवानी का होता है। इश्क के भूत जब किसी के सिर पर चढ़कर बोलता है तो व्यक्ति अंधा हो जाता है। राहुल भी अपने इश्क में अंधा हो चुका था। उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि वह क्या करें, क्या ना करें ?
एक दिन वह बड़ी खुशी से विद्यालय गया। वह चाहता था कि आज फैसला हो ही जाए। उसने उसने लड़की से स्पष्ट शब्दों में कह दिया,-” अगर तुम आज हां नहीं करोगी तो मैं जहर खा कर जान दे दूंगा।”
लड़की ने उसे कुछ भूल गुस्से में कहा, -“जाओ जहर खा लो ।मैं अपनी जिंदगी तुम्हारे साथ बर्बाद नहीं करना चाहती। तुम्हारी मर्जी जो करो। जहर खाना है तो खाओ।”
राहुल बहुत गुस्से में था। उसने आव देखा ना ताव और जहर पी गया। जहर पीने से उसकी तबीयत बिगड़ने लगी उसे अस्पताल ले जाया गया। जहर पूरे शरीर में फैल चुका था। अस्पताल में ही उसने अपना दम तोड़ दिया।
आज इश्क के नशे में न जाने कितने दिल टूट रहे हैं। न जाने कितने राहुल की जिंदगी बर्बाद हो रही है। लोगों ने जहर खाकर आत्महत्या करना सरल समझ लिया। मनुष्य का दिल बड़ा नाजुक होता है। जब भावनाओं में गहरा दुख होता है तभी वह ऐसा कठोर कदम उठाता है।
अक्सर दिल के सच्चे लोगों के साथ ही ऐसी घटनाएं हुआ करती हैं। कभी-कभी हम एकतरफा प्यार में पड़ जाते हैं। कभी सामने वाले का नहीं सोचते कि उसकी क्या चाहत है। ऐसे में हम ऐसे कदम उठा लेते हैं जो हमारे परिवार के लिए बहुत दुखदाई होता है।
आज इश्क के चक्कर में एक होनहार अध्यापक को हमने खो दिया। न जाने उसकी शिक्षा के द्वारा कितने बच्चों का भविष्य संवरता। आज सबको आत्मविश्वास आत्मशक्ति की शिक्षा देने वाला खुद ही टूट गया। पूरे गांव में मातम छा चुका था। जो भी सुनता वही हक्का-बक्का रह जाता था। अभी तो हमसे कल ही मुलाकात हुई थी और बड़ा खुश लग रहा था। कहीं से भी नहीं लग रहा था कि वह इतना बड़ा कदम उठाएगा।
लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। जो होना है वह होकर के ही रहता है। युवाओं को चाहिए कि वह अपनी भावनाओं पर कंट्रोल करें। जिंदगी बड़ी अनमोल है। यह परमात्मा का दिया हुआ असीम उपहार है। किसी के प्रेम के चक्कर में जिंदगी को यू ना गवाएं। आत्महत्या कायरता है।
कायर होते हैं जो आत्महत्या करते हैं। आखिर राहुल को क्या मिला? उसका सारा परिवार बिखर गया क्योंकि वही परिवार में एक कमाने वाला था। जिस बहन की शादी के सपने वह देखा करता था उसकी शादी आज भी नहीं हो सकीं।
इसलिए युवाओं को चाहिए कि किसी के इश्क के चक्कर में आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने के पहले हजार बार सोचे कि हमारे घर परिवार का क्या होगा ? यदि परिवार का दर्दनाक चेहरा सामने आ जाए तो कोई भी व्यक्ति आत्महत्या जैसे जघन्य अपराध नहीं कर सकता।
योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )