तेरे नयनों की बरसात
तेरे नयनों की बरसात
तेरे नयनों की बरसात
सावन भादो की है जैसे सौगात
मैने रखी है जतन कर अपने पास
तेरे नयनों की बरसात …
विरह बिछोह बड़ी लंबी है आई
आ जाओ तुम की ह्दय प्राण से मैने पूकार है लगाई
याद करे मन मेरा तुम्हे दिन-रात
तेरे नयनों की बरसात ….
सावन भादो की है जैसे सौगात
मैने रखी है जतन कर अपने पास
तेरे नयनों की बरसात
प्रेम रहे
सदा तुम भी रहो पास
जब पड़ जाए आस-पास रिश्तों का अकाल
लगने लगे जीवन में अवसाद भरी हर बात
तुम न सही
रहेगी तुम्हारे नयनों की बरसात सदा संग मेरे
तुम चाहो तो करो पराया मुझे
करो अनदेखा हर बार हर बात
मैं तो सजाकर रखूँगा
पलकों पर अपने
तेरे नयनों की बरसात
सावन भादो की है जैसे सौगात
मैने रखी है जतन कर अपने पास
तेरे नयनों की बरसात…
नयनों की बरसात…
चौहान शुभांगी मगनसिंह
लातूर महाराष्ट्र
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