था वो हुस्नो शबाब से पानी | New ghazal
था वो हुस्नो शबाब से पानी
था वो हुस्ने शबाब से पानी
ख़ूब महका गुलाब से पानी
उतरेगा प्यार का नशा कैसे
पी न ऐसे शराब से पानी
लें आया वो शराब पीने को
जब मांगा है ज़नाब से पानी
रो पड़ा कोई शब्द यादों का
यार छलका किताब से पानी
प्यार की सूखने लगी नदियां
पीना तू अब हिसाब से पानी
बह गयी धूल नफ़रत की तन से
ऐसा बरसा सह़ाब से पानी
ख़ुश्क थी जो आंखें कभी आज़म
टप रहा उस ह़िजाब से पानी
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शायर: आज़म नैय्यर
( सहारनपुर )