थोड़ा उदास हूँ

 

पिछले कई दिनों से

मन थोड़ा #उदास रहने लगा है

समझ नहीं आ रहा कि क्या करें हम

एक ही बात बार-बार

#मन में हर बार आ रही है कि

हर बार मेरे ही साथ ऐसा क्यूँ होता है..?

 

उन्हीं की बातों को #दिल से लगाकर

विचारों की #मथनी चलती रहती है

सबको इतनी #तवज्जो दी मैंने

वे मेरे मन को जानने के बजाय

मुझसे ही #नाराज हो गए हैं

आखिर क्यू..?

 

एक ही बात मन में आती है कि

हर बार मैं ही क्यूँ #छला जाता हूँ

मैं ही क्यूँ #चुना जाता हूँ

#प्यार, #दोस्ती, #रिश्ते और सारे

#बन्धन निभाने के लिए,

क्या मेरा हक़ नहीं कि

कोई मेरी भी #परवाह करे….

 

इन्हीं सब बातों की #उधेड़बुन में

मैं जिए जा रहा हूँ अब

कभी तो कोई हमारे #मन को भी

#टटोलेगा इसी राह में

इसलिए #राहों में तेरा

#इंतज़ार किए जा रहा हूँ

बस आज थोड़ा #उदास हूँ …………!!

 

?

कवि : सन्दीप चौबारा

( फतेहाबाद)

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सुनो

 

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