तिश्नगी हमारी

तिश्नगी हमारी | Tishnagi Hamari

तिश्नगी हमारी

( Tishnagi Hamari )

कुछ तिश्नगी हमारी भी बुझवाइए ज़रा।
इक जाम मस्त आंखों से पिलवाइए ज़रा।

क्या-क्या शिकायतें हैं पता तो चले हमें।
उनको हमारे पास तो बुलवाइए ज़रा।

शेअ़रो सुख़न में आपके चर्चे हैं हर तरफ़।
कोई ग़ज़ल हमें भी तो सुनवाइए ज़रा।

कर देना क़त्ल शौक़ से अरमाने नो-ब-नो।
दामन से पहले दाग़ तो धुलवाइए ज़रा।

दिल चीज़ क्या है जान भी देकर ख़रीद लें।
बोली हमारे प्यार की लगवाइए ज़रा।

हम भी तो देखें कैसे न आराम आएगा।
इक बार उनको हम से तो मिलवाइए ज़रा।

आलूदगी को देख के भड़कें न वो कहीं।
गर्द-ओ-गुबार राह से हटवाइए ज़रा।

नाज़ुक से उनके पांव हैं छिल जाएंगे फ़राज़।
राहों में उनकी फूल तो बिछवाइए ज़रा।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़

पीपलसानवी

यह भी पढ़ें:-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *