तुम इतनी कठोर
तुम इतनी कठोर

तुम इतनी कठोर

( Tum Itni Kathor )

 

तुम इतनी कठोर

कैसे हो सकती हो..?

क्या भूले से भी

मेरे नाम से

तुम्हारा दिल

नहीं धड़कता…..

 

तुम्हारे दिल में

मेरे लिए थोड़ा सा भी

प्रेम नहीं है क्या

जो इतनी

बे-मुरोव्वत

बन गई हो….

 

एक हमारी हालात है कि

एक पल का भी

चैन नहीं मिलता

काश! तुम समझ पाते

हमारे दिल की ….!

?

कवि : सन्दीप चौबारा

( फतेहाबाद)

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