तुम मत रोना प्रिय | Tum mat Rona Priya
तुम मत रोना प्रिय
( Tum mat rona priya )
तुम मत रोना प्रिय मेरे, यह तेरा काम नही है।
जिस संग मन ये लागा, मेरा घनश्याम वही है।।
जो राधा का है मोहन, मीरा का नटवर नागर।
वो प्रेम रसिक इस जग का, मन मेरा छलकत गागर।।
वो एक पुरूष सृष्टि का, बाकि तन मन सब नारी।
वो परम पिता परमेश्वर, सम्पूर्ण सत्य निर्विकारी।।
तन पे मन का अधिकार रहे, चैतन्य हृदय उपकारी।
हुंकार प्रीत का दर्पण है, श्रीनाथ सर्व हितकारी।।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )