तुम्हे रुलाने आया हूँ | Marmik kavita
तुम्हे रुलाने आया हूँ
( Tumhe rulane aya hun )
हंसने वालो सुनो जरा तुम तुम्हे रुलाने आया हूँ।
अश्कों की बरसातों मे आज तुम्हे नहलाने आया हूँ।।
जिसको सुनकर झुम उठो तुम ऐसा न संगीत मेरा।
अन्तर्मन तक कांप उठेगा दर्द भरा सुन गीत मेरा।।
न चाहिये कोई ताली मुझको न अभिनंदन चाहता हूँ
दो आंसु तुम बहालो सुनकर दो आंसु मै बाहता हूँ।।
अश्को से हम करें स्वागत रीत चलाने आया हूँ।
हंसने वालो सुनो जरा…….
कैसे जीते गरीब बेचारे नर्क भरा जीवन सुनलो।
व्याकुल करती भुख रुलाते अर्ध नग्न से तन सुनलो।।
फुटपाथों पर सोते देखा मैने बहुत गरीबों को।
बदहाली मे रोते देखा मैने बहुत गरीबों को।।
उनको आज जरुरत अपनी याद दिलाने आया हूँ।
हंसने वालो सुनो जरा……
अन्दाता की पीड़ा सुनलो मरने पर मजबूर हुआ।
धरतीपुत्र कहालविया आज स्वयं मजदूर हुआ।।
कृषि कार किसानी इसकी बुरे दौर से गुजर रही।
बद-से-बदतर दशा हुई आज नही सुधारे सुधर रही।।
किसानों के गम का प्याला तुम्हे पिलाने आया हूँ।
हंसने वालो सुनो जरा……
मजदूरों को मजबूरी में मैने मरते देखा है।
रहकर खाली पेट फेरबी कार्य करते देखा है।।
जीना हो दुश्वार जहां पर करना पड़ता काम वहां।
मजदूरी के बदले मिलते गाली रुपी दाम वहां।।
आज उन्ही के लिये सुनो मैं यहां चिल्लाने आया हूँ।
हंसने वालो सुनो जरा……
मैने अपना फर्ज निभाया अब बारी तुम्हारी है।
तुम्ही बताओ सुनकरके क्या अब हंसना जारी है।।
आंसु आ गये हो अब तो अंखियां भर आई होगी।
मुझको लगता भरे सदन खामोशी छाई होगी।
“विश्वबंधु”को आंसु दे दो हाथ फैलाने आया हूँ।
हंसने वालो सुनो जरा……
🍀
लेखक :राजेश पुनिया ‘विश्वबंधु’
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Aapne Kya Kavita likhi bahut vadia lajawab padkar maja aagya great