लगन
( Lagan )
मनहरण घनाक्षरी
मीरा सी लगन लगे,
मन में उमंग जगे।
प्रेम की तपन कोई,
उर मे जगाइए।
मौसम सुहाना छाए,
काली घटा घिर आए।
मन में लगन जगे,
जतन बढ़ाइए।
काम कोई छोटा नहीं,
कर्मठ को टोटा नहीं।
मेहनत लगन से,
शुभ फल पाइए।
आमद अच्छी कमाओ,
दुनिया में नाम पाओ।
साहस लगन धर,
प्रगति पा जाइए।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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