जहां नहीं पहुंचे रवि वहीं पहुंचे कवि, सैनिक कवि- गणपत लाल उदय अराॅंई अजमेर (राजस्थान)
से है। जिन्होंने देश सेवा के साथ-साथ देशभक्ति प्रेम, सौन्दर्य, प्रकृति, स्वास्थ्य, माता पिता, परिवार, अपनें पारंपरिक त्योंहार और सामाजिक विषयों पर अनेंक कविताएं लिखकर अपनी लेखनी का जौहर दिखाया ।

वास्तव में यह साहित्य समाज की दिशा और ‌ये दशा बदलने में समर्थ रखता है यही कारण है कि साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है।

आज युवा पीढ़ी भी साहित्य को मोबाइल की जगह अधिक महत्व दे तो अच्छा परिणाम निकलेगा कविता, कहानी एवम उपन्यास को पढ़ने में भी कुछ अलग ही आनन्द मिलता है आज सोशल मीडिया के माध्यम से लेखक, कवि, साहित्यकार अपनी अपनी कविताएं एवं विचार समाज तक पहुॅंचा रहें है।

वैश्विक आपदा के वक़्त भी इन युवा साहित्यकारों ने अपना सामाजिक दायित्व बखूबी से निभाया है।
‌ कविता लेखन ने मुझको भी स्वतन्त्रता का आभास कराया है अनेंक परेशानियां भी आई।

बहुत बार खाना खाएं बिना भी रहना पड़ा लेकिन मैंने यह लिखना नहीं छोड़ा। परिवार से दूर रहकर बहुत बार चटनी एवं रोटी खाकर तो कभी पानी पीकर ही रात गुजारनी पड़ी किसी ने कहा अरे क्या होगा लिखने सेकुछ नहीं होता लिखने से …

लेकिन मेरे लड़के अंकुश, अविनाश ने कहां आप लिखते रहो पापा जी किसी से क्या लेना हमनें आपकी रचनाएं पढ़ी है आपके हर एक शब्द में कही दर्द झलकता है तो कही ख़ुशी कही जोश हिम्मत की बात आती है तो कईयों में पर्यावरण सुरक्षा की।

हम आपकी सारी कविताएं पढ़ते है यह बात सुनकर मन प्रसन्न हुआ और मेरी कलम चलती ही गई चलती ही गई। आज इसी लेखनी ने मुझे सैनिक के साथ कवि की पहचान दिलाई है।

सैनिक कवि उदय स्वतन्त्र विधाओं में अपनी रचनाएं लिखते है सेना का जाॅब होने के कारण आप साहित्य जगत में अपनें पांव नहीं पसार सके “उदय” अबतक लगभग 3000 से भी ज्यादा रचनाएं लिख चुके है जो अलग-अलग जगहों से 400 से अधिक काव्य साझा संग्रहों में प्रकाशित है। जो बड़े ही गर्व की बात है।

जय हिन्द, जय हिन्दी, जय हिन्दुस्तान

सैनिक कवि ✍️
गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान
[email protected]

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