Uff ye Garmi

उफ्फ ये गर्मी | Uff ye Garmi

उफ्फ ये गर्मी

( Uff ye garmi )

 

तपन भरी धरा हुई,
गगन हुआ बेहाल।
उफ ये गर्मी कैसी,
मौसम ने बदली चाल।

बदल गई दिनचर्या सारी,
बदला सारा खानपान।
तन मन को शीतल करे,
मधुर ठंडे पेय श्रीमान ।

कुदरत रंग बदलती,
तेज पड़ रही है धूप।
दोपहरी में लूएं चलती,
पीओ जलजीरा सूप।

मजा किरकिरा हो रहा।
चलते आंधी तूफान।
गर्मी की छुट्टियों में,
बच्चे हो रहे परेशान।

रंगीन सपनों को जोड़े,
रखना खुद का ध्यान।
गर्मी में बेहाल हो रहे,
सड़कों पर इंसान।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

फुर्सत के पल | Fursat ke Pal

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *