Ummeed Shayari in Hindi | उम्मीदों का साथ ना छोड़ो
उम्मीदों का साथ ना छोड़ो
( Umeedon ka sath na chhodo )
कैसी लहर दुबारा आई
काली रात अमावस छाई
महामारी ये कहर कोरोना
संघर्ष में ना धीरज खोना
दिल खोलो दिलदार बनो सब
फौलादी हथियार बनो अब
आज लड़ना महामारी से
एक भयानक बीमारी से
अभाग्य का भांडा फोड़ो
उम्मीदों का साथ न छोड़ो
कठिन समय है कठिन परीक्षा
नियति चक्र या हरि इच्छा
चंद सांसों का खेल सारा
छूट रहा कोई अपना प्यारा
आज फिजा में जहर खुला है
मानवता को नर भूला है
वीर धरा के तुम वाशिंदे
रुख हवाओं का फिर मोड़ो
कोशिश करते रहो सदा ही
उम्मीदों का साथ ना छोड़ो
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )