उनको हम लगते बेग़ाने

उनको हम लगते बेग़ाने

उनको हम लगते बेग़ाने

 

 

उनको हम लगते बेग़ाने।

ग़ैर लगे अब उनको भाने।।

 

तोङ दिये पलभर में उसने।

नाते- रिश्ते आज पुराने।।

 

हरदम मेरे दिल से खेला।

करके झूठे रोज बहाने।।

 

भूल हुई क्या ऐसी हमसे।

जो वो लगे हमसे कतराने।।

 

ढल जाएगी सूरत प्यारी।

जिसको देख लगे इतराने।।

 

हम भी पास रहे क्यूं उनके।

जब वो दूर लगे है जाने।।

 

देख के उनको सोच रहा अब।

लगते हैं जाने पहचाने।।

 

कौन किसी का है इस जग में।

“कुमार” लगे दिल को समझाने।।

 

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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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