उस हंसी के जैसा देखा चांद है
उस हंसी के जैसा देखा चांद है
उस हंसी के जैसा देखा चांद है!
वो फ़लक पे आज निकला चाँद है
रोशनी है इसलिए मेरी गली
हाँ इधर से दोस्त गुजरा चाँद है
क्यों न दीवाना बने उसका दिल ये
हू ब हू वो चेहरा लगता चाँद है
इसलिए दीदार कर पाया नहीं
वो गली कुछ देर ठहरा चाँद है
देखिए भी इक फ़लक पे रहता
इक जमीं पे चलते देखा चांद है
चाहत हूँ मैं बनाना अपना वो
लग रहा जो *आज़म* चेहरा चाँद है
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )