Vah Bharatmata
Vah Bharatmata

वह भारतमाता

( Vah Bharatmata )

 

वह भारतमाता है, हम सबको प्यारी
जिसका लोहा मानती दुनिया सारी ।

भगीरथ ने जहाँ पतित पावनी गंगा ऊतारी,
संतों-गुरुओं, पीरों ने जिसकी छवि सँवारी,
ज्ञान-गुणों, संस्कारों की भरी पिटारी,
पूरी दुनिया में सब देशों से जो है न्यारी ।
वह भारतमाता है, हम सबको प्यारी ।

सर पर श्वेत हिमालय का ताज सजता,
चरणों में सदा निर्मल हिंद सागर बहता,
विभिन्न फ़सलों के रंगों से सजी साड़ी प्यारी
हाथ में तिरंगे की शोभा सबसे न्यारी ।
वह भारतमाता है, हम सबको प्यारी ।।

सीमा पर देश की रक्षा करता वीर जवान,
खेतों में अन्न उपजाता मेहनती किसान,
इनके भरोसे पर ही हमने गुलामी बिसारी,
इनकी उन्नति से ही जुड़ी है, उन्नति हमारी ।
वह भारतमाता है, हम सबको प्यारी ।।

दयानंद, गाँधी जैसे हुए सत्य-अंहिसा के पुजारी,
आज़ाद, भगत, उधम;जैसे फूलों की ये क्यारी,
हमारे शौर्य के आगे,कई शैतानी ताकतें भी हारी,
असंख्य देशभक्तों के सपनों की ये फुलवारी।
वह भारतमाता है, हम सबको प्यारी ।।

जहाँ मिलकर रहते हिंदू, मुस्लिम,सिख ईसाई,
सबने अलग-अलग वेशभूषा, बोली अपनाई,
अनेकता में एकता ही रही, सदा पहचान हमारी,
सभ्यता-संस्कृति से फलीभूत ये मातृभूमि हमारी ।

वह भारतमाता है, हम सबको प्यारी
जिसका लोहा मानती दुनिया सारी ।

 

कवि : संदीप कटारिया

( करनाल , हरियाणा )

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