वजूद
( Vajood )
आज में ही गुम न रहो इतना कि
कल तुमसे तुम्हारा रूठ जाए
आज तो आएगा फिर आज के बाद ही
संभव है कि कहीं कल तुमसे छूट न जाए
समेट लो खुशियां बाहों में अपनी
मगर बचाते भी रहो कल के खातिर
आज ही कीमती नही तुम्हारे लिए
बेहतर हैं खुशियाँ कल की भी तुम्हारे लिए
मशगूल न रहो पाकर, इसी इतने मे
बहुत कुछ रखा है खुदा ने खजाने में
वो देता है सभी मगर ,आहिस्ता आहिस्ता
लक्ष्य से बढ़कर कुछ नहीं जमाने में
सफर की दूरी का पता किसे चला है
मिलता है सब जो नसीब में मिला है
मगर कल से भी गफलत ना होना कभी
बहुत काम अधूरे हैं करोगे कभी
बांट लेना है तुम्हें हर काम के लिए खुद को
रखना भी है कायम तुम्हें अपने वजूद को
कहें क्या इससे अधिक अब और
समझदार तुमसे अधिक, भला कौन और
( मुंबई )