Vidai party ghazal | विदाई-पार्टी स्पेशल
विदाई-पार्टी स्पेशल
( Vidai-party special )
कोई शिकवा नहीं करना चले हम आज महफिल से।
मिटा के नफ़रतें सारी हटा दो बौझ इस दिल से।।
सलीका बात करने का नहीं आता यहां हमको।
नही चालाक हम बेशक नहीं हरग़िज हैं जाहिल से।।
कहीं दौलत कहीं शुहरत नशा हमको भी ग़ैरत का।
सहारा मत हमें देना नहीं अब दूर साहिल से।।
नहीं गुस्ताखियों का अब हमें अफसोस है कोई।
बशर गलती का पुतला है जहां में कौन कामिल- से।।
नसीहत मत कोई देना नहीं कुछ जानते फिर भी।
उसे हम ढूंढ लेगें खुद है वाकिफ अपनी मंजिल से।।
न रखते बात को दिल में दिलों के साफ हैं यारो।
छुपा के वार करते जो नहीं है ऐसे कातिल से।।
कहीं तो भेंट फिर होगी “कुमार” ये याद रखना तुम।।
कहा सब-कुछ ग़ज़ल में है कहा फिर भी है मुश्किल से।।
कवि व शायर: मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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