Ghar ki yaad shayari
Ghar ki yaad shayari

याद परदेश में आता परिवार है

( Yaad pradesh mein aata parivar hai ) 

 

 

याद परदेश में आता परिवार है

दिल मिलने को बहुत यार लाचार है

 

हाल दिल का सुनाऊँ किसे मैं यहाँ

इस नगर में नहीं कोई भी यार है

 

ज़िंदगी भर ख़ुदा उस हंसी से मिला

जिस हंसी का हुआ आज दीदार है

 

मुफ़लिसी हूँ मिलाया नहीं हाथ यूं

दोस्ती यूं   उसे मेरी इंकार  है

 

याद करता नहीं वो अब परदेश में

कोई आयी न चिट्टी न  ही तार है

 

फ़ूल आज़म जिसे था दिया प्यार का

कर गया खूब वो पत्थर से वार है

 

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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