Vishwa ki Taqdeer

विश्व की तकदीर | Vishwa ki Taqdeer

विश्व की तकदीर !

 (नज़्म )

आग लगाकर लोग बुझाने आते हैं,
दुनिया का दस्तूर निभाने आते हैं।
साथ-साथ चलने का ये छलावा है मात्र,
घड़ियालू आँसू बहाने आते हैं।

पहले लोग करते थे फक्र रिश्तों पर,
अब दरिया से कतरा चुराने आते हैं।
करते हैं लोग आंसुओं का सौदा,
दूसरों की जमीर गिराने आते हैं।

इज्जत तो किसी दुकान पे बिकती नहीं,
बस यूँ ही भाईचारा दिखाने आते हैं।
वो दुआ क्या देंगें, नेक काम किए ही नहीं,
बस दिल की चोट बढ़ाने आते हैं।

गहरा है दाग उनका धोओगे कैसे?
फिर भी अपना दाग छुपाने आते हैं।
विश्व की तकदीर आज बिगाड़ रहे कुछ,
उसे अपने हाथों मिटाने आते हैं।

जल रही चितायें उठे उस तूफान में,
छुपाके गम अपना मुस्कुराने आते हैं।
सुकूँ के पल दुनिया में आखिर बसे कहाँ,
वही लोग बारूद बिछाने आते हैं।

 

लेखक : रामकेश एम. यादव , मुंबई
( रॉयल्टी प्राप्त कवि व लेखक )

यह भी पढ़ें :-

जग को बचाना | Jag ko Bachana

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *