सर्वप्रथम वास्तुकार है विश्वकर्मा

( Sarvapratham vastukar hai vishwakarma ) 

 

दुनियां के सर्व प्रथम, वास्तुकार विश्वकर्मा,
१७ सितम्बर को जन्में भगवान विश्वकर्मा।
हर वर्ष कन्या संक्रांति को मनातें है जयंती,
कर्म प्रधान है पहले इन्जिनियर विश्वकर्मा।।

इस दिन हम करते है इनका विशेष भजन,
अस्त्र-शस्त्र उद्योग मशीन व फैक्ट्री पूजन‌।
वास्तुदेव की अंगिरसी पत्नी से हुएं उत्पन्न,
इसदिन कारखाने रहते बंद पूजते भगवन।।

चारों युग में आपने कई नगर-भवन बनाएं,
सत्ययुग में देवताओं का स्वर्गलोक बनाएं।
त्रेतायुग में लंका व द्वापर में द्वारका बनाएं,
कलयुग प्रथम हस्तिनापुर, इंद्रप्रस्थ बनाएं।।

हर्षो उल्लास के साथ हम करते है भण्डारे,
भोग लगाते है खीर-पूरी हलुवे का तुम्हारे।
पूजन करतें कलाकार, शिल्पकार बुनकर,
औद्योगिक घराने से पूजा होती विशेषकर।।

प्राचीन काल में अस्त्र-शस्त्र आप ही बनाएं,
भोले का त्रिशूल व इन्द्रदेव का वज्र बनाएं।
पांचो पुत्रो को अनेंक शिल्पों में दक्ष बनाएं,
मन की गति चले वो पुष्पक विमान बनाएं।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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