नींद के शत्रु खटमल

( Neend ke shatru khatmal ) 

 

मन पसन्द जगह है जिनकी रजाई गद्दे और बिस्तर,
रात्रि को हमला करते है और ख़ून पीते वो जमकर।
मानसिक बीमारी का डर रहता जिससे हमें अक्सर,
कहते है खटमल‌ उनको जो हमला करते छुपकर।।

शत्रु होते ये नींद के जो रात्रि में निकलते अधिकतर,
झुण्ड में बैठें यह मिलेंगे प्लाई-पलंगों में दुबक कर‌‌।
उजाले में भी नज़र ना आते छुप जाते यह भागकर,
दीवार दरारों में भी मिलेंगे यह खटमल ज़्यादातर।।

जहां काटते खुजली होती उसी जगह पे अधिकतर,
परेशान कर देते चकते से बना देते यह रक्त पीकर‌।
रखना साफ-सफाई ख़ुद का और अपना ये बिस्तर,
धूप दिखाना हर सप्ताह पलंग बाहर निकाल कर।‌।

भूरे-रंग के होते है यह बिलकुल सूक्ष्म कीटाणु जैसे,
दो सौ से चार सौ अंडे देती यह मादा-खटमल ऐसे।
कभी रेडनेस फोड़े बन जाते इसके काटे जगहों पर,
एलर्जिक रिएक्शन गम्भीर बीमारी बनती जिससे।।

रबिंग-अल्कोहल छिड़कने से नष्ट होते जिसके अंडे,
तेल नीम का निजात दिलाता इन खटमल से बन्दे।
गर्म पानी से धोना है ऐसे में घर के सभी यह कपड़े,
हर तरफ स्प्रे करें डालकर लैवेंडर ऑयल की बूंदे।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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