Vo Chahe
Vo Chahe

वो चाहें हो कुछ हंगामा

( Vo chahe ho kuch hungama )

 

वो चाहें हो कुछ हंगामा, बन जाए कोइ फसाद नया !
इस पावन भू में फैल सके, कोई हिंसक उन्माद नया !!

मतलब की बातों के बदले, मुद्दे बेमतलब उठा रहे
अपनी ही बनाई बातों पर,करने लगते प्रतिवाद नया !!

कहते खुद को शोषित पीड़ित,पर सदा लूटते आये हैं
बिखराते झूठे मनमाने, इतिहासों पर परिवाद‌ नया !!

हम पुश्तैनी वारिस उसके,जिसको कब्जाया था हमने
षडयंत्रों से भड़काए जन, करते हैं खड़े विवाद नया !!

गदहे घोड़े या गाय सुअर,सबको समानअधिकारों का
विकलांग साम्यवादी मानस,दोहराते समतावाद नया !!

जो हाथ ध्वस्त करते आये,प्रति दिन नारी सम्मानों को
वे कहते उनको जितवादो,मानो उनको अपवाद नया !!

थासातदशकतक राजचला,जोहिरण्यकशिपु का वरदानी,
आ चुका मिटाने उसको ही,भारत में अब प्रल्हाद नया !!

हैं चकित रूस अमरीका या,वे कुत्सित पाकी चीनी सब
इस कठिन त्रासदी अवसर में,गूॅंजा है शंख निनाद नया !!

कैसे निरीह यह देश उठा,“आकाश” उठा लाया सिर पर
भारत की महिमा गरिमा का, देखा जग ने उत्पाद नया !!

 

Manohar Chube

कवि : मनोहर चौबे “आकाश”

19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .
482 001

( मध्य प्रदेश )

यह भी पढ़ें :-

राधा कान्हा के द्वार | Radha Kanha ke Dwaar

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here