Vyang Dangon ki Janch
Vyang Dangon ki Janch

दंगों की जांच

( Dangon ki janch ) 

 

शहर में मुख्य रूप से दो धार्मिक समूह थे। इन दोनो के अलावा दोनो में एक समूह शरारती तत्वों का था। इस तरह तीन समूह हो गये। त्यौहार आया । त्यौहार आये। दोनो धार्मिक समूहो के त्यौहार एक ही दिन पड़ गये। धार्मिक समूह डर गये। जब भी दोनो धार्मिक समूहो के त्यौहार एक ही दिन आते है धार्मिक समूह डर जाते है और शरारती तत्वों की बाछे आपाद मस्तष्क खिल जाती है।

एक और समूह था। प्रशासन का उसने कफ्र्यू को निकाला झाड़ा पोंछा उसे अच्छा खाना खिलाया और लगाने के लिए तैयार किर लिया । वह तो लगना ही था। प्रशासन नामक समूह ने एक शान्ति बैठक नामक नाटक किया जिसमें शहर की कठपुलतियां को नाचने के लिए बुलाया। मगर प्रशासन नाम का समूह और धार्मिक नाम के समूह जानते थे कि शान्ति समिति की कठपुतलियाॅ भगदड़ मचने पर सबसे पहले भागेंगी।

त्यौहार आने पर पूरे शहर में चप्पे-चप्पे पर मूठों पर पुलिस बैठ गई (पहले वह खड़ी रहती थी) शरारती तत्वों ने शरारत मीटिंग की और दोनो धार्मिक स्थलों के सामने एक-एक सूअर का बच्चा गला घोंट कर पटक दिया।

आजकल किसी भी शहर का सुहाना मौसम मात्र पांच सौ रूपये बिगाड़ा जा सकता है मात्र पांच सौ रूपये में कफ्र्यू लगवाया जा सकता है। सो इस शहर में भी इस नाके से उस नाके तक सनसनी फैल गई।

इस घटना से कुछ नही हुआ दोनो समूहो ने स्वयं की धार्मिक स्थल की सफाई कर दी और गले मिल गये। एक धांसू शुरूआत का फुसफुसा अन्त हो गया। प्रशासन मायूस हो गया। मगर शरारती तत्व हार नहीं मानता । उसने एक जूलूस निकाला । इसने उसके और उसने इसके धार्मिक स्थल पर पथराव किया। दोनो ने अपने अपने धार्मिक स्थलों पर भी पथराव किया । और घर जाकर सो गये। सोचा शाम को परिणाम देखेगें।

इस बार शरारती तत्व अच्छे नंबरो से उत्तीर्ण हो गया। शहर में अग्नि देवता का साम्राज्य हो गया । दुनाली से फटाकों की आवाज आने लगी, मूठो पर बैठी पुलिस गायब हों गयी और शहर सुरक्षा बल और मिलिट्री ने नियंत्रण में ले लिया। प्रशासन सचेत हो गया अब तो त्यौहार, आग दंगो और कफ्र्यू से पहचाने जाते है।

“फिर से कफ्र्यू लगा है बस्ती में

कोई त्यौहार पास आया है ।

कफ्र्यू में गलियां सड़के बन गई । खोमचें वालों और दुकानों के बोर्डो ने सड़को को गलियारो में बदल दिया था । अब उस घटना की जाॅच बिठाल दी गई।

शहर में डी.आई़.जी. नये आये थे (हमें बाद में मालूम पड़ेगा कि वे इंग्लैण्ड से ट्रेनिंग लेकर आये थे) उन्होने टी.आई. को बुलाया । और कहा कि जासूसी कुत्तों को बुलाओं और मालमू करो कि किसने सूअर फिकवाये ? टी.आई. बोला “श्रीमान कुत्ते सुअर खा जायेगें और पुलिस ने अब जासूसी कुत्ते पालना बन्द कर दिया है चोरी के प्रकरणों में वे चोरी स्थल संूुध कर थाने में घुस जाते थे।

“ठीक है तो ऐसा करो कि शहर के सारे सूअर मालिको को बुलाओं मालूम करो कि कितने सुअर इस शहर में है और उनके कितने बच्चे है ? डी.आई.जी. ने आदेश दिया- शाम को टी.आई. ने सुअर मालिकों की मीटिंग ली और मालुम किया कि शहर में पांच सूअर मालिक है उनके तीन सौ सूअर है और एक हजार सूअर के बच्चे है।

सूचना डी.आई.जी. को दी गई डी आई जी ने आदेश दिया “ठीक है अब इन दोनो के बच्चों का डी.एन.ए. टेस्ट करवाओं और मिलान करो कि किस सूअरनी से उस मृत सूअर के बच्चे का डी.एन.ए. मिलता है। फिर मालुम करो कि सुअर का बच्चा किस आदमी का है।

इस तरह हम अपराध की तह तक पहुंच जायेंगें” टी.आई. ने सिर ठोक लिया पर विनम्र जवाब दिया “श्रीमान यहाॅ तो दस बारह प्रयोगशालायें ही है जो मात्र मल मूत्र की जाॅच ही करती है।

डी.एन.ए. टेस्ट तो कलकत्ता में ही होते है। “ठीक है” डी.आई.जी. ने आदेश दिया “जाकर सरकारी अस्पताल के सिविल सर्जन से सम्पर्क करो। उससे कहो कि वे दोनो सूअर के बच्चों को सुरक्षित द्रव में रखकर कोलकाता भिजवायें साथ में एक सिपाही भेज देना।

टी.आई. ने सोचा कि इस बहाने सरकारी खर्चे पर मां काली एवं गंगा सागर के दर्शन कर लंॅूगा। जाॅच होते होते एक साल गुजर जायेगी। अभी पिछले साल के सुअर के बच्चो की रिपोर्ट तो आई नही है इस साल के सूअर के बच्चों की रिपोट अगले साल तक आ पायेगी। अगले साल के सूअर के बच्चों के डी.एन.ए. की जाॅच के लिये सब इंस्पेक्टर को कोलकाता भेज दूगा बहुत आग्रह कर रहा है।

 

  1. डी.आइ्र्र.जी. डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल आॅफ पुलिस पुलिस उपमहानिरीक्षक
  2. टी.आई. टाउन इंस्पेक्टर – पुलिस का दरोगा

 

लेखक :  डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव

171 नोनिया करबल, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)

यह भी पढ़ें : –

आध्यात्मिक गुरु का इंटरव्यू | Vyang adhyatmik guru ka interview

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here