वफ़ा की राह को यूं खुशगवार करना है | Wafa Shayari
वफ़ा की राह को यूं खुशगवार करना है
( Wafa ki raah ko yoon khushgawar karana hai )
वफ़ा की राह को यूँ ख़ुशग़वार करना है
ज़माने भर में तुझे ताजदार करना है
भरम भी प्यार का दिल में शुमार करना है
सफ़ेद झूठ पे यूँ ऐतबार करना है
बदल बदल के वो यूँ पैरहन निकलते हैं
किसी तरह से हमारा शिकार करना है
ये बार बार न करिये भी बात जाने की
अभी तो आपको जी भर के प्यार करना है
चला मैं आता हूँ इस वास्ते ही महफ़िल में
सितम नवाज़ तुझे बेक़रार करना है
डिगा न पायें ये इशरत के जाम पैमाने
ज़मीर अपना हमें वावक़ार करना है
ये राहे-इश्क की पाबंदियाँ हैं दोस्त यहाँ
सुकूने-कल्ब को बस तार-तार करना है
नसीब कैसा लिखा है ये साहिब-ए-कुदरत
बियाबाँ सीच के फ़स्ल-ए-बहार करना है
बुलंदियों पे पहुँचने के वास्ते साग़र
कमी पे अपनी हमें इख़्तियार करना है
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
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