
कोई अपना यार नहीं
( Koi apna yaar nahin )
कोई अपना यार नहीं
तन्हा हूँ दिलदार नहीं
हूँ सच्चा में भरा वफ़ा
कोई मैं अय्यार नहीं
देखें है वो रोज़ मुझे
उल्फ़त की इज़हार नहीं
फ़ैले कैसे उल्फ़त फ़िर
फ़ूल भरा गुलज़ार नहीं
जानें वो गुम कहाँ हुआ
उसका हो दीदार नहीं
देता हूँ गुल आज उसे
राहों में दीवार नहीं
कर प्यार सदा आज़म से
कर कोई तकरार नहीं