वतन पर कविता | Poem on homeland in Hindi
हँसता हुआ प्यारा ये वतन देख रहा हूँ
( Hansta hua pyara ye watan dekh raha hoon )
हँसता हुआ प्यारा ये वतन देख रहा हूँ !
खुशबू से मुअत्तर ये चमन देख रहा हूँ !!
इस बागवाँ ने ऐसा कुछ कमाल किया है
हर दश्त में मैं खिलते सुमन देख रहा हूँ !!
गल पाई दाल जिनकी कभी भी नहीं यहाॅं
माथों पे उनके उभरी शिकन देख रहा हूँ !!
जिनके घरों में हमने कल अंगार भरे हैं
उनके दिलों मे जलती अगन देख रहा हूँ !!
नाकामियों मिल बन रही हैं राहे कामयाब
मैं देश में अब ऐसे जतन देख रहा हूँ !!
गुम हों सभी आसेब रुकावट न रहे कुछ
हर सिम्त इसके होते हवन देख रहा हूँ !!
बरसा रहा “आकाश” सुमन जिनपे हमेशा
उन पैरों पे दुनिया का नमन देख रहा हूँ !!
कवि : मनोहर चौबे “आकाश”
19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .
482 001
( मध्य प्रदेश )
यह भी पढ़ें :-