Woh ladki
Woh ladki

वो लड़की

( Woh ladki )

 

वो लड़की , दूनियाँ अपनी नई बनाती तो होगी ,
गीत चाहत का कोई गुनगुनाती तो होगी I

 

तस्वीर कोई आँखों में सजाती तो होगी ,
खड़ी आइने के सामने मुस्कराती तो होगी ।

 

अनकही सी बातें आ जाती होंगी लबों पर ,
अनजाने से रिश्तों की बात सुनाती तो होगी ।

 

ना अपनी , ना दीन दुनियाँ की ख़बर ,
अपनी इस बेखुदी पर झुंझलाती तो होगी ।

 

इकरार और इन्कार के द्वन्द्व में उलझी ,
अक्सर अपने मन को समझाती तो होगी ।

 

रात की खामोशियों में सो जाते होंगे सब ,
मगर साथ अपने , तारों को वो जगाती तो होगी ।

❣️

शायर: गौतम वशिष्ठ

झुन्झुनूं (राजस्थान)

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