वो लड़की | Woh ladki | Poem in Hindi
वो लड़की
( Woh ladki )
वो लड़की , दूनियाँ अपनी नई बनाती तो होगी ,
गीत चाहत का कोई गुनगुनाती तो होगी I
तस्वीर कोई आँखों में सजाती तो होगी ,
खड़ी आइने के सामने मुस्कराती तो होगी ।
अनकही सी बातें आ जाती होंगी लबों पर ,
अनजाने से रिश्तों की बात सुनाती तो होगी ।
ना अपनी , ना दीन दुनियाँ की ख़बर ,
अपनी इस बेखुदी पर झुंझलाती तो होगी ।
इकरार और इन्कार के द्वन्द्व में उलझी ,
अक्सर अपने मन को समझाती तो होगी ।
रात की खामोशियों में सो जाते होंगे सब ,
मगर साथ अपने , तारों को वो जगाती तो होगी ।
शायर: गौतम वशिष्ठ
झुन्झुनूं (राजस्थान)