याद आता है
याद आता है
सर्दी की गुनगुनी धूप में
वो तेरा पार्क में बैठ
तेरा अपनी आँखों से
मुझे अनिमेष तकना
और मेरा हाथ थामना
याद आता है……
तुम्हारा मेरी हथेलियों में
अपना हाथ थमा देना
अपनी उंगलियों को
मेरी उंगलियों में उलझा देना
और फ़िर धीरे धीरे
अपनी उंगलियों से
मेरी हथेली पर
गुदगुदाना
अपने नाखूनों से
मेरी उँगली पर गड़ाना
सच में इस शरद मौसम में
बहुत याद आता है………!!