किसी की यादों का | Yaad romantic poetry
किसी की यादों का
( Kisi ki yaadon ka )
इस बारगी बहुत कड़क रहे हो, बरस रहे हो
ऐ मौसम, किस बात पर यूं अकड़ रहे हो
सड़क किनारे जल रहा कोई अलाव बुझा
किसी की दीवार ओ’बाम क्यो हिला रहे हो
दिलों पर पहले ही जम रही थी बर्फ
सूरज को जामा अब्र का यूं पहना रहे हो
ओढ़ा था जिस्म ने लिहाफ किसी की यादों का
तेज सर्द हवाओं से उसे क्यो उड़ा रहे हो…
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )