यह जग की रीत पुरानी है
यह जग की रीत पुरानी है
यह जग की रीत पुरानी है
यह जग की जीत पुरानी है
जो ना पाया बौराया है
जो पाया सो रोया है
यह जग की रीत पुरानी है
यह जग की गीत पुरानी है
तेरे रह गुजर में हम नवीन
कुछ यूं टूट पड़े
आंख से आंसू ना छलका
पर जख्म बहुत गहरा है
यह जग की रीत पुरानी है
यह जग की गीत पुरानी है
नवीन यह कैसी अजीब विडंबना है
मैं हूं समुद्र में पर प्यासा हूं
एक ऐसा गीत सुहाना है
यह कैसा रीत पुराना है
यह जग की रीत पुरानी है
यह जग की गीत पुरानी है
नवीन मद्धेशिया
गोरखपुर, ( उत्तर प्रदेश )