यहां रह जाती यादें बाकि
यहां रह जाती यादें बाकि
बंदा चला जाता फिर , यहां रह जाती यादें बाकि।
तब छौङ करके पीछे वो ,अपने सभी वादे बाकि।।
किस-किस से जाने उसने की होगी तब जो फरमाईश।
पङी रह गई सारी मन मे उसकी वो फरियादें बाकि।।
जो कुछ नहीं कर पाया था तब जिंदगी में अपनी वो।
दिल में दफ़न होके रह गये सब वो ईरादे बाकि।।
अपनी सभी शर्तों पर था जीता रहा बेशक बशर।
सारे चला पीछे छौङ अपने बनाये कायदे बाकि।।
जो कुछ यहां पर करना “कुमार” अभी से कर लेना।
जीवन की जाने कितनी बची अब है मियादें बाकि।।
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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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