
ये आंसू के अक्षर हैं दिखाई नहीं देते
( Ye Aansoo Ke Akshar Hai Dikhai Nahi Dete )
देते हैं दर्द मगर दवाई नहीं देते।
एक बार कैद करके रिहाई नहीं देते।।
तनहाई में जाकर के इत्मिननान से सोचो,
ये आंसू के अक्षर हैं दिखाई नहीं देते।।
वो मर गया पर आंख खुली की खुली रही,
जो मुहब्बत करते हैं सफाई नहीं देते।।
कंगन बना के दिल को पहना तो दूं हुजूर,
वो भूलकर भी मुझको कलाई नहीं देते।।
इस बेरूखी से जां निकल जाती है मेरी शेष,
नुकसान तो करते हैं भरपाई नहीं देते।।