मैने बिरयानी खा ही ली

ओर अंततः मैने बिरयानी खा ही ली..

यह मेरे लिए बड़ी परेशानी वाली बात थी कि कोयम्बटूर में शाकाहारी होटल नही के बराबर है.. ईक्का दुक्का होंगी भी तो मेरी नजरो से नही गुजरी.. रेलवे स्टेशन पर ही होटल हरिप्रिया में मेरा मुकाम था और यही एक शाकाहारी होटल थी जहाँ मैं दक्षणी भारत का भोजन करता था।        शुरुआती कुछ दिन…

अहिल्या

अहिल्या : एक जीवनी – एक दर्शन

          राष्ट्र सेविका समिति ने  आरंभिक काल में ही देवी अहिल्या बाई होल्कर को कर्तव्य के आदर्शवादी रूप में माना है। गंगाजल की तरह निर्मल, पवित्र, पुण्यश्लोक देवी अहिल्या अपने ऐतिहासिक युग का स्वर्णिम युग रही हैं। उनके प्रति समस्त जनसमुदाय की श्रद्धा, निष्ठाभाव, आदर और अपनेपन की भावनात्मक को अभिव्यक्त, प्रतिबिम्बित करने वाली एक…

सवाल

सवाल

“हेलो काव्या, मैं विनीता बोल रही हूँ। क्या तुमने एमएससी मैथ एंट्रेंस एग्जाम का फॉर्म भरा है??” “हां विनीता, मैंने भी फॉर्म भरा है। मैंने सुना है कि इस बार सभी का एग्जाम सेंटर बरेली कॉलेज बरेली को ही बनाया गया है।” “ठीक कह रही हो, मेरा एग्जाम भी बरेली कॉलेज बरेली में ही है।…

जानलेवा आदत जो छूटे न

जानलेवा आदत जो छूटे न

एक दिन अभिषेक अपने सेवानिवृत्त गुरु दिवाकर जी से मिलने उनके घर पहुँचा। गुरुजी को चरण स्पर्श करके उसने उनका हाल-चाल लेना शुरू ही किया था कि इतने में गुरु जी का लड़का आनन्द अपने मुँह को ढ़ककर कमरे में कुछ सामान लेने आता है। इस तरह मुँह को ढका हुआ देखकर अभिषेक ने आनंद…

अंतर्द्वंद्व

अंतर्द्वंद्व

1996 की बात है। 12 वर्षीय मानव के घर पर गांव से उसके चाचा-चाची जी आये। चाची को समोसे बहुत पसंद थे। चाची ने आते ही समोसे खाने की अपनी इच्छा जाहिर की और बोली, “मुझे चेतराम के यहां के समोसे खाने हैं। बहुत दिनों से यहां आने की सोच रही थी, आज आई हूं…

reflection

प्रतिबिंब

गाँव के प्राचीन पीपल की घनी छाया तले, जहाँ कभी उनकी वाणी से विद्या के दीप प्रज्वलित होते थे, वहीं आज मास्टर शिवप्रसाद जीवन की संध्या बेला में एक शांत, संतुलित और सजग अस्तित्व के रूप में बैठे दिखाई देते हैं।उनका कुर्ता भले ही समय की मार से पुराना हो गया हो, पर उनके विचार…

chhalawa

छलावा

छलावा उस धरा सेइस धरा तकउस गगन सेइस गगन तकउस जहां सेइस जहां तकउस परिवेश सेइस परिवेश तकउस गांव सेइस शहर तकका सफर…रहा नहीं आसानजिसने बदल दिएसारे अरमान…अपनों के साथजीने का सपनाबन कर…रह जाएगा सपनाजो हो नहीं सकताअब कभी अपनाअब अपनों को…नहीं दे पाते वो सम्मानजो थे कभी जीवन की जान श्याम सुंदर यह भी…

doctor's prescription

“डॉक्टर का पर्चा”

जब से राघव ने अपने बेटे का इलाज़… बच्चों के प्रसिद्ध डॉक्टर, डॉ० अग्रवाल से शुरू किया, तबसे राघव के बेटे की तबीयत में काफी सुधार हुआ। पिछले एक महीने से वे हर सप्ताह अपने बच्चे को डॉक्टर साहब को दिखाने आ रहे हैं। डॉक्टर साहब का पर्चा सिर्फ़ 5 दिनों के लिए ही वैलिड…

Flirting

छेड़खानी

एक दिन रमेश सर (कंप्यूटर शिक्षक) जैसे ही कंप्यूटर सेंटर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि सेंटर प्रबंधक श्री शमीम अहमद जी व कुछ पुलिस वाले रमेश सर के इंतजार में ही बैठे हैं। रमेश सर को देखते ही प्रबंधक महोदय ने कहा,“यहीं है रमेश सर, जिनका आप इंतजार कर रहे थे।” रमेश सर के अंदर…

ये हम कहां जा रहे हैं?

ये हम कहां जा रहे हैं?

कहा जाता है कि भारतीयों की बुद्धि चूल्हे से शुरू होकर चूल्हे पर ही खत्म हो जाती है। इस चूल्हे के चक्कर में हम हजारों वर्षों तक गुलाम रहे। फिर भी चूल्हे का चक्कर है कि आज भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। कहने का तात्पर्य यही है कि इस व्यक्ति के यहां…