2020 पर एक एक नजर
2020 पर एक एक नजर
2020 था विष का थैला,
कोरोना का था बोलबाला,
दुनिया में मचाया हाहाकार,
घर-घर मचा दिया कोहराम,
सब पर हो गया है भारी,
बना दिया है सबको भिखारी,
रोजी बची न रोटी,
गरीब मरे, बिन रोटी,
कोरोना भैया आए,
दूर-दूर सबको भगाए,
पति ,पत्नी से,
पिता ,पुत्र से,
प्रेमी, प्रेमिका से,
भाई ,बहन से,
कोरोना भैया आए,
दूर-दूर सबको भगाएं,
शादी 5 लोग मिल करवाएं,
कोई एक दूसरे गले न मिल पाए,
सड़के सूनी ,सूनी सब गलियां,
घर-घर खड़ी सब गाड़ियां,
पर्यावरण हुआ सुरक्षित,
हम सब कोरोना से असुरक्षित,
मजदूरों के पैरों में पड़े बड़े-बड़े फोले,
सरकारों ने बरसाईथी शब्दों के शोले,
इंसानों ने दिखाई थी इंसानियत,
सरकारों की सही नहीं थी नियत,
प्रवासी भटक भटक गए थे रास्ते,
बसे बंद चल रही थी इनके वास्ते,
2020 था विष का थैला,
कोरोना का था बोलबाला,
आर्थिक थी मंदी,
मंदिर में ना थे नंदी,
दुनिया को सिखाया नमस्ते,
मोदी बोले TA-DA से नमस्ते,
खुले रहे सभी अस्पतालें,
मंदिरों में लगे रहे ताले,
पूजारी के घर जले ना चूल्हा,
डॉक्टर साहब बोले हा हा हा हा,
वैज्ञानिक वैक्सीन खोजने में परेशान,
इंसान रोजगार खोजने में परेशान,
यह था 2020 का हाहाकार,
दुनिया में मचा हाहाकार,
2020 बहुत दर्द दिया,
मुझे कवि बना दिया,
क्वारंटाइन, मास्क,सैनिटाइजर
ऐसे शब्द सिखा दिया,
जो कभी न सुना था कोविड-19 सुना दिया,
अब भगवान् से है हमारी यही कामना,
2021 में कराए न ऐसा कोई भी सामना।
लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा
(ग्राम -जवई, पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )
उत्तर प्रदेश : Pin-212218
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