गोरी नखराली | फागुनी धमाल
गोरी नखराली
( Gori nakhrali )
गोरी नखराली नथली थारी हंस बतलावे ए
गोरी नखराली-नखराली गोरी
गोरा गोरा गाल गुलाबी थारा नैणां तीर शराबी
फागण आयो मस्त महीनों ल्यायो गुलाल गुलाबी
थारी तिरछी तिरछी चाल रसीला होठ करै बदहाल
चाल थोड़ी धीमै चालो ए गिगनार गोरी नखराली नखराली गोरी
फागण म गोरी शरमावै हिवड़े हेत घणों बरसावै
साजन आधी रातां आवै गोरी मनड़ा म मुळकावै
झोला खावे रसिया मंझधार गोरी नखराली
नखराली नखराली गोरी
चालै बहारां मदमाती रंगीलो फागणियो हरसाती
काला केशां न लहराती म्हारो काळजो धड़काती
थारो नखरो सहयो न जाय गोरी काची कचनार
डूबैगी आ नैया मंझधार नैण सूं बरस रया रसधार
गोरी नखराली नखराली गोरी
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )