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मैं तो नहीं हूं काबिल तेरा पार कैसे पाऊं | Bhajan Hindi mein

मैं तो नहीं हूं काबिल तेरा पार कैसे पाऊं

( Main to nahin hoon kaabil tera paar kaise paoon )

 

 

परमपिता परमेश्वर मेरे तेरा ध्यान लगाऊं
मैं तो नहीं हूं काबिल तेरा पार मैं कैसे पाऊं

 

हे दुनिया के रखवाले नित उठ शीश झुकाऊं
चरण वंदना तेरी प्रभु भजन तिहारे गांऊ
मनमंदिर में दीप जलाता मन उजियारा लाऊं
मैं तो नहीं हूं काबिल तेरा पार मैं कैसे पाऊं

 

साधक हूं तेरे दर आया शब्द सुमनहार सजाया
धूप दीप नैवेद्य आरती कीर्तन कर गुण गाऊं
हे जग के करतार स्वामी तुझ संग प्रीत लगाऊं
मैं तो नहीं हूं काबिल तेरा पार मैं कैसे पाऊं

 

अंतर्यामी घट घटवासी करुणासागर सांवरे
रोम रोम में बसने वाले दीनों के प्रतिपाल रे
आठो याम ध्यान हरि का गुणगान तिहारे गांऊ
मैं तो नहीं हूं काबिल तेरा पार मैं कैसे पाऊं

 

दीनबंधु दुखहर्ता प्यारे सुखसागर हो नाथ
मंझधार में अटकी नैया पकड़ो स्वामी हाथ
कर जोड़ हे नाथ तिहारे द्वारे टेर लगाऊं
मैं तो नहीं हूं काबिल तेरा पार मैं कैसे पाऊं

 

भक्तों के प्रतिपालक आजा कृपासिंधु भगवान
साधु संत ऋषि मुनि ज्ञानी करें हरि का ध्यान
धरती अंबर चंहुओर ईश्वर मैं तुझको चाहूं
मैं तो नहीं हूं काबिल तेरा पार मैं कैसे पाऊं

?

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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