क्या चाहती हो सुन्दर नारी | Geet in Hindi
क्या चाहती हो सुन्दर नारी
( Kya chahti ho sundar nari )
क्या चाहती हो सुंदर नारी
विश्वास प्रेम से भरी हुई
तुम राग प्रीत की मूरत हो
जग को जीवन देने वाली
क्यूं पीले पात सुखी आशा
दामन में अपने रखती हो
क्यूं जुगनू सी धीमे चलकर
हर पल आगे तुम बढ़तीहो
क्यूँ कुटिल वेदना के तानो को
सह करके मुस्काती हो
क्यूं जात पात रंगभेद से उठकर
ममता अपनी लुटाती हो
क्यूँ नदी किनारे सांझ ढले
आंसू बनकर बह जाती हो
क्यूं मचल मचल कर सृष्टि को
मंदिर मस्जिद सा सजाती हो
क्यूँ दीपों की माला बनकर
तुम सहज रूप में जलती हो
क्यूँ देव लोक की खुशबू को
इस धरती पर फैलाती हो
मन के भीतर तेरे क्या है
क्यूं कभी नहीं जतलाती हो
क्यूं आगे बढ़कर इस जग को
कुंदन सा तुम चमकाती हो
क्या चाहती हो सुंदर नारी
कुछ अपने मुख से तुम बोलो
विश्वास प्रेम से भरी हुई तुम
अपना अंतर्मन खोलो
डॉ. अलका अरोड़ा
“लेखिका एवं थिएटर आर्टिस्ट”
प्रोफेसर – बी एफ आई टी देहरादून