जीने के लिए | Kavita jeene ke liye
जीने के लिए
( Jeene ke liye )
कक्षा में
बिल्कुल पीछे
पिछले सीट पर
मैला कुचैला
निराश
उदास बैठा
सबसे दूर,
न कापी
न कलम
न पढ़ने का
मन,
मैंने डांटा
धमकाया
पर दबा दबा सा
मुझे देखा
देखता रहा
अंततः कुछ न बोला,
फिर प्यार से
स्नेह और
दुलार से
पूछा,
उसने बोला
मैं अनाथ हूं
बिना मां बाप हूं
किससे मांगू
कापी,किताब
मैं स्तब्ध रह गया
यह देख कर
शांत हो गया
यह सोंच कर
मां बाप के बिना
विरान हैं
ये जिंदगी
मां,बाप ही
प्रथम अध्यापक
भगवान
पालनहार
हर सुख दाता हैं
भाग्यविधाता है ,
सीख ले जीना
बिना मां बाप के
छोड़ गये तुम्हें
अकेला
जीने के लिए।