अपनों से प्यार पाता हूं | Geet apno se pyar pata hoon
अपनों से प्यार पाता हूं
( Apno se pyar pata hoon )
रिश्तो की डगर पर जिम्मेदारी खूब निभाता हूं
जीवन के उतार-चढ़ाव में संभल कर जाता हूं
घर परिवार कुटुंब समाज सदा स्नेह लुटाता हूं
अपनापन अनमोल है अपनों से प्यार पाता हूं
अपनों से प्यार पाता हूं
मात पिता की सेवा करना समझे सब जिम्मेदारी
तरुणाई है चार दिन की फिर आगे अपनी बारी
सीमा पे सजग प्रहरी बन सीना तान निभाता हूं
आन बान तिरंगा उंची माटी का मोल चुकाता हूं
अपनों से प्यार पाता हूं
पिता संतान को शिक्षा भली प्रकार दिलाता है
सुशिक्षा संस्कारों से हर जिम्मेदारी निभाता है
भाई होकर जिम्मेदार मन ही मन बतलाता हूं
संकट में रक्षा करूं वचन दे राखी बंधवाता हू
अपनों से प्यार पाता हूं
गृहस्थी का रथ भी जो दो पहियों पर चलता है
सुखी वह घर होता जहां प्रेम भाव ही पलता है
सात फेरों में वचनों की जिम्मेदारी निभाता हूं
हमसफर जीवन संगिनी प्रेम सलोना पाता हूं
अपनों से प्यार पाता हूं
मां अपनी जिम्मेदारी स्नेह दुलार कर करती है
प्रथम गुरु माता जो औलाद में संस्कार भरती है
घर स्वर्ग से सुंदर होता मां का स्नेह जब पाता हूं
घर की जिम्मेदारी सारी समर्पण से निभाता हूं
अपनों से प्यार पाता हूं
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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