
जिन्दगी का गुलिस्तां !
( Zindagi ka gulistan )
झुकता है आसमां भी झुकाकर तो देखो,
रूठने वाले को तू मनाकर तो देखो।
प्यार में होती है देखो ! बेहिसाब ताकत,
एक बार जीवन में अपनाकर तो डेखो।
सिर्फ दौलत ही नहीं सब कुछ संसार में,
किसी गरीब का आंसू पोंछकर तो देखो।
दुनिया की किसी हाट में खुशी बिकती नहीं,
बुजुर्गों की दुवाएँ आप लेकर तो देखो।
संवर जाएगा आपकी जिन्दगी का गुलिस्तां,
कुदरत से उसका रंग चुराकर तो देखो।
राजगुरु, सुखदेव, भगत अपनी जान लुटाये,
वतन की खातिर खुद को लुटाकर तो देखो।
सियासी अदावत से नहीं बन सका महाशक्ति,
इस तरह की नफ़रत आप जलाकर तो देखो।
अपनी ही बेहयाई पर खिलखिलाते यहाँ कुछ,
उन्हें सच का आईना दिखाकर तो देखो।
जो हताश, निराश हुए हैं अपनी जिन्दगी से,
ऐसे लोगों का हौसला बढ़ाकर तो देखो।
मशीन -सी बना ली है आपने ये जिन्दगी,
समंदर से कुछ लम्हें चुराकर तो देखो।
उदास हुए आजकल दरख्त अपने साये से,
खामोश वादियों को गले लगाकर तो देखो।
चाँद पर जब बस्ती बसेगी, तब बसेगी,
दुश्मनी की बीमारी मिटाकर तो देखो।
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आदरणीय रामकेश जी,
आपने जीवन व देश दुनिया की सच्चाई और अनुभव को बेहतरीन तरीक़े से सार्थक रूप में लिखा है।
बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएँ।
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